जब हम बिल्कुल छोटे थे और फ्रिज नहीं था घर में तो एक आईसबाक्स में बर्फ रख कर उस पर कांच की बोतलें रख दी जाती थीं.. साथ में फल-फ्रूट भी वहीं रख दिया जाता था।
फिर 10-12 साल के हुए तो फ्रिज आ गया लेकिन बोतलें वहीं कांच वाली पानी पीने के लिए इस्तेमाल की जाती थीं। और अधिकतर ये दारू की खाली बोतलें ही हुआ करती थीं….और उन दिनों अगर वैट-69 की खाली बोतल में पानी ठंडा रखा जाता था तो यह भी एक स्टेट्स-सिंबल से कम नहीं होता था।
और उसी जमाने में हम लोग देखा करते थे कि बच्चों को दूध पिलाने वाली बोतलें भी कांच की ही हुआ करती थीं …और हर रोज़ उन की एक लंबे से ब्रुश से सफ़ाई की जाती थी।
यह जो जब से प्लास्टिक आ गये हैं, बहुत गड़बड़ हो गई है। सब कुछ प्लास्टिक का आने से पर्यावरण का नाश तो हुआ ही है, साथ ही साथ हमारी सेहत पर भी बहुत प्रभाव पड़ा है।
कुछ चीज़ें हम लोग बस बिना सोच विचार के करते चले जाते हैं …जैसे कि पानी को स्टोर करने के लिए प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल किये जाना। अकसर हम लोग अब तक यही सोचते रहे हैं ना कि जो पतली प्लास्टिक की थैलियां (प्लास्टिक की पन्नी) होती हैं वही पर्यावरण खराब करती हैं, अगर उन में हम कुछ खाने-पीने का सामान बाज़ार से लाते हैं तो यह हमारी सेहत के लिए खराब है।
कभी प्लास्टिक की बोतलों की तरफ़ जिन में हम लोग पानी भर कर फ्रिज में रखते हैं उस के बारे में तो कहां सोचते हैं। दरअसल कुछ दिन मैं नेट पर कहीं देख रहा था कि आट्रेलिया में बहुत बवाल मचा हुआ था कि बच्चों की जो प्लास्टिक की दूध वाली बोतलें हैं वे शिशुओं की सेहत के लिए अच्छी नहीं है… इन में से निरंतर Bisphenol-A (BPA) नामक कैमीकल निकलता रहता है जो मानव के लिए बहुत ही हानिकारक है।
मैं इतने दिनों तक यही सोच कर परेशान हो रहा था कि आट्रेलिया में निःसंदेह जो प्लास्टिक इस्तेमाल किया जा रहा है वह हमारे यहां के प्लास्टिक से तो उत्तम ही होगा। इस में तो कोई शक नहीं होना चाहिए।
लेकिन जिस तरह से हम इतने वर्षों से प्लास्टिक की बोतलों में पानी फ्रिज में रखते हैं ….यह भी एक गड़बड़ मामला तो है ही। और एक बात, प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना कोई ऐसी बात भी नहीं कि इसे एक बार पीने से आदमी बीमार हो जाता है, लेकिन चूंकि ये कईं कईं वर्षों, कईं दशकों तक चलता रहता है इसलिए यह हमारे शरीर में बीमारीयां तो लाता ही है।
इस में कोई शक नहीं है कि प्लास्टिक की बोतलों में निरंतर पानी पीते रहना सेहत के लिए ठीक नहीं है, इसलिए मैंने गूगल अंकल के साथ ज़्यादा माथा-पच्ची नहीं की। बस एक लिंक दिखा जिसे यहां लगा रहा हूं —इस एक लिंक पर भी इस विषय के बारे में काफ़ी जानकारी दी गई है —Are plastic bottles a health hazard? –इस में अच्छे से बताया गया है कि इन बोतलों की वजह से हम कौन कौन सी आफ़त मोल ले रहे हैं !!
अच्छा एक बात शेयर करूं — जब किसी बात के बारे में पता चलता है तो उस का फायदा तो होता ही है। जब मैंने इस बात की चर्चा घर में की तो सब से पहले तो यही प्रतिक्रिया की आज कल के फ्रिज कांच की बोतलों का वजन कहां सह पाते हैं…लेकिन अगले दो चार दिनों में पानी के लिए कांच की बोतलें भी फ्रिज में दिखने लगीं। बड़ा अच्छा लगा यह देख कर…मैं कांच की बोतल से ही पानी लेना पसंद करता हूं …एक बात नोटिस की है कि सेहत के लिए तो यह सेहतमंद है ही, इस का स्वाद भी प्लास्टिक की बोतल वाले पानी से कहीं बेहतर होता है।
लिखते लिखते ध्यान आया कि यार, इतनी क्रांतिकारी सी बात लिख रहा हूं तो इस से पहले एक बार अपने घर के फ्रिज में झांक कर तो देख लूं ….और जो देखा उस की तस्वीर यहां लगा रहा हूं। कांच की बोतलें आप देख सकते हैं।
एक बात और ..प्लास्टिक की बोतलें महंगी से महंगी हमारी सेहत के लिए खराब तो हैं ही , लेकिन हम लोग एक और बहुत गलत काम करते रहते हैं …ये जो मिनरल वाटर की बोतलें, कोल्ड-ड्रिंक्स की खाली प्लास्टिक की बोतलें होती हैं ये एक बार ही इस्तेमाल करने के लिए बनती हैं, लेकिन इन्हें भी कितने समय तक बार बार पीने वाला पानी पीने के लिए हम इस्तेमाल करते रहते हैं।
बस जाते जाते यही बात कहना चाहता हूं अगर आपने कल से अपने फ्रिज में कम से कम एक कांच की बोतल ही रखनी शुरु कर दी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा, हो सकेगा तो कमैंट में लिखियेगा।